Wednesday, July 30, 2014

कढ़ी पत्ता (मीठा नीम,कैडर्य)

कढ़ी पत्ता (मीठा नीम,कैडर्य)

कढ़ी पत्ता (मीठा नीम,कैडर्य) -
अत्यन्त प्राचीन काल से भारत में मीठे नीम का उपयोग किया जा रहा है | कई टीकाकारों ने इसे पर्वत निम्ब तथा गिरिनिम्ब आदि नाम दिए हैं | इसके गीले और सूखे पत्तों को घी या तेल में तल कर कढ़ी या साग आदि में छौंक लगाने से ये अति स्वादिष्ट,सुगन्धित हो जाते हैं | दाल में इसके पत्तों का छौंक देने से दाल स्वादिष्ट बन जाती है,चने के बेसन में मिलाकर इसकी उत्तम रुचिकर पकौड़ी बनाई जाती है| आम,इमली आदि के साथ इसके पत्तों को पीसकर बनाई गई चटनी अत्यंत स्वादिष्ट व सुगन्धित होती है | इसके बीजों तथा पत्तों में से एक सुगन्धित तेल निकला जाता ही जो अन्य सुगन्धित तेलों के निर्माण कार्यों में प्रयुक्त होता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल क्रमशः फ़रवरी से अप्रैल तक तथा अप्रैल से अगस्त तक होता है | इसकी पत्तियों में ओक्सालिक अम्ल,कार्बोहाइड्रेट,कैल्शियम,फॉस्फोरस,अवाष्पशील तेल,लौह,थाइमिन,राइबोफ्लेविन,तथा निकोटिनिक अम्ल पाया जाता है |
कढ़ी पत्ते के औषधीय प्रयोग-
१- मीठे नीम के पत्तों को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द ठीक होता है |
२- मीठे नीम के पत्तों को पानी में उबालकर गरारे करने से छाले ठीक होते हैं तथा २-४ पत्तियों को चबा कर खाने से मुँह की दुर्गन्ध दूर होती है |
३- पांच से दस मिली मीठे नीम के पत्तों के रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर पीने से कफ विकारों का शमन होता है |
४- मीठे नीम के २-४ फलों को पीसकर खिलाने से अतिसार में लाभ होता है |
५- कढ़ी पत्ते के ५-१० पत्तों को पानी में पीसकर पिलाने से उल्टी में लाभ होता है |
६- मीठे नीम के पत्तों के रस में नींबू का रस मिलकर लेप करने से पित्ती तथा दाद में लाभ होता है |

Monday, July 28, 2014

अनानास (Pineapple)

अनानास (Pineapple) -
अनानास ब्राज़ील का आदिवासी पौधा है | क्रिस्टोफर कोलंबस ने 1493 AD में कैरेबियन द्वीप समूह के ग्वाडेलोप नाम के द्वीप में इसे खोजा था और इसे 'पाइना दी इंडीज' नाम दिया | कोलंबस ने यूरोप में अनानास की खेती की शुरुआत की थी | भारत में अनानास की खेती की शुरुआत पुर्तगालियों ने 1548 AD में गोवा से की थी | अनानास की डालियाँ काटकर बोने से उग आती हैं |
अनानास का फल बहुत स्वादिष्ट होता है | इसके कच्चे फल का स्वाद खट्टा तथा पके फल का स्वाद मीठा होता है । इसके फल में थाइमिन,राइबोफ्लेविन,सुक्रोस,ग्लूकोस,कैफीक अम्ल,सिट्रिक अम्ल,कार्बोहाईड्रेट तथा प्रोटीन पाया जाता है | आज हम आपको अनानास के कुछ औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -
१- अनानास फल के रस में मुलेठी, बहेड़ा और मिश्री मिलाकर सेवन करने से दमे और खाँसी में लाभ होता है|
२- यदि शरीर में खून की कमी हो तो अनानास खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है | इसके सेवन से रक्तवृद्धि होती है और पाचनक्रिया तेज़ होती है |
३- अनानास के पके फल के बारीक टुकड़ों में सेंधानमक और कालीमिर्च मिलाकर खाने से अजीर्ण दूर होता है |
४- अनानास के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसमें बहेड़ा और छोटी हरड़ का चूर्ण मिलाकर देने से अतिसार और जलोदर में लाभ होता है |
५- अनानास के पत्तों के रस में थोड़ा शहद मिलाकर रोज़ २ मिली से १० मिली तक सेवन करने से पेट के कीड़े ख़त्म हो जाते हैं |
६- पके हुए अनानास का रस निकालकर उसे रूई में भिगो कर मसूड़ों पर लगाने से दांतों का दर्द ठीक होता है |

Thursday, July 24, 2014

जुक़ाम (COLD)

जुक़ाम (COLD)



जुक़ाम होना एक आम समस्या है | जुक़ाम का रोग किसी मौसम में हो सकता है परन्तु यह अक्सर दो मौसमों के बीच में होता है जैसे गर्मी और सर्दी | जुक़ाम प्रदूषण के कारण भी हो सकता है | किसी गर्म जगह से एकदम ठंडी जगह पर चले जाने के कारण,पेट में कब्ज,गर्म के ऊपर एकदम ठंडी वस्तुओं का सेवन,बारिश में अधिक भीगने तथा कसरत करने के तुरंत बाद नहाने से जुक़ाम हो जाता है |
जुक़ाम का विभिन्न औषधियों से उपचार -
१- दस तुलसी के पत्ते तथा पांच काली मिर्च पानी में चाय की भांति उबालें तथा थोड़ा सा गुड़ डालें | इसे छानकर पीने से जुक़ाम में बहुत लाभ होता है |
२- अजवायन को पीसकर एक पोटली बना लें ,उसे दिन में कई बार सूंघने से बंद नाक खुल जाती है|
३- एक कप गर्म पानी में नींबू और चुटकी भर सेंधानमक डालकर सुबह खालीपेट और शाम को पीने से जुक़ाम ठीक हो जाता है |
४- लगभग १०० मिली पानी में तीन लौंग डालकर उबाल लें | उबलने पर जब पानी आधा रह जाए तब इसके अंदर थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से जुक़ाम दूर होता है |
५- पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम शहद मिलाकर प्रतिदिन ३-४ बार चाटने से जुक़ाम में बहुत आराम मिलता है |

Tuesday, July 22, 2014

प्राकृतिक दिनचर्या

प्राकृतिक दिनचर्या [भाग - २ ] [कल का शेष भाग]
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प्रकृति हमारे जीवन का अभिन्न अंग है | हमें प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करना चाहिये क्योंकि इसी से हम अपने आपको स्वस्थ एवं निरोगी रख सकते हैं | 
आज हम आपको प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों से अवगत कराएंगे ----
१-स्नान करने से पहले १० मिनट के लिए शरीर की मालिश करनी चाहिए | यदि प्रतिदिन यह संभव न हो तो सप्ताह में एक दिन ऐसा अवश्य करें | 
२- भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए तथा भूख से थोड़ा कम ही खाना चाहिए , इससे पाचन सम्बन्धी विकार नहीं होते हैं |
३-भोजन करने के बाद थोड़ी देर वज्रासन में अवश्य बैठना चाहिए | रात्रि के भोजन के पश्चात 10-15 मिनट अवश्य टहलना चाहिए |
४-स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए | यदि हम प्रतिदिन चार - पांच तुलसी और नीम की पत्तियों का सेवन करें तो इससे शरीर में रोग नहीं होते हैं |
५-दिन में नहीं सोना चाहिए क्योंकि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होता है |
६- रात को सोने से पूर्व पैर धोकर सोने से नींद अच्छी आती है | हमेशा पश्चिम या उत्तर दिशा की ओर पैर करके ही सोना चाहिए अथवा पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर सर करके ही सोना चाहिए | विशषकर विद्यार्धियों को पूर्व दिशा की ओर सर करके सोना चाहिए |

Tuesday, July 15, 2014

पान

पान
पान का प्रयोग भारतवर्ष में सिर्फ़ खाने के लिए ही नहीं अपितु पूजन , यज्ञ तथा अतिथियों के स्वागत इत्यादि में भी किया जाता है , पान को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है , जिससे आज हम आपका परिचय करने जा रहे हैं -------
१- मुँह के छालों के लिए पान के पत्तों के रस में शहद मिलाकर लगाने से लाभ होता है , यह प्रयोग दिन में दो -तीन बार किया जा सकता है |
२-घाव के ऊपर पान के पत्ते को गर्म करके बांधें तो सूजन और दर्द शीघ्र ही ठीक होकर घाव भी ठीक हो जाता है |
३-शरीर में होने वाली पित्ती होने पर , एक चम्मच फिटकरी को थोड़े से पानी में डालें , तीन खाने वाले पान के पत्ते लें | फिटकरी वाले पानी में मिलाकर इन पत्तों को पीस लें | इस मिश्रण को पित्ती के चिकत्तों पर लेप करें , लाभ होगा |
४ - मोच आने पर पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर गर्म करें , फिर इसे मोच पर बांधें शीघ्र लाभ होगा |

Saturday, July 5, 2014

कटहल (Jackfruit )

कटहल (Jackfruit )-
कटहल का प्रयोग बहुत से कामों में किया जाता है | कच्चे कटहल की सब्जी बहुत स्वादिष्ट बनती है तथा पक जाने पर अंदर का गूदा खाया जाता है | कटहल के बीजों की सब्जी भी बनाई जाती है | आमतौर पर यह सब्जी की तरह ही प्रयोग में आता है परन्तु कटहल में कई औषधीय गुण भी पाये जाते हैं| कटहल में कई महत्वपूर्ण प्रोटीन्स,कार्बोहाइड्रेट्स के अलावा विटामिन्स भी पाये जाते हैं |
कटहल के औषधीय गुण -
१- पके हुए कटहल के सेवन से गैस और बदहज़मी में लाभ होता है |
२- कटहल की पत्तियों को छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण एक छोटी चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से पेट के अलसर में आराम मिलता है |
३- कटहल की छाल घिसकर लेप बना लें | यह लेप मुहँ के छालों पर लगाने से छाले दूर होते हैं |
४- कटहल के पत्तों को गर्म करके पीस लें और इसे दाद पर लेप करें | इससे दाद ठीक होता है |
५- कटहल के पत्तों पर घी लगाकर एक्ज़िमा पर बाँधने से आराम मिलता है
६- कटहल के ८-१० बीजों के चूर्ण का क्वाथ बनाकर पीने से नकसीर में लाभ होता है |