Friday, September 26, 2014

Wednesday, September 24, 2014

गुदा चिरना (ANAL FISSURE)

गुदा चिरना (ANAL FISSURE)
परिचय :
यह रोग मलद्वार के छोर पर छोटे दाने निकल आने के कारण, दाने वाले जगह पर गुदा चिर जाने से उत्पन्न होता है। इसे गुदा चिर जाने का रोग कहते हैं। इस रोग के होने पर रोगी मल (पैखाना) त्याग करने से डरता रहता है। जिससे रोगी को कब्ज हो जाता है। इस रोग में रोगी को ऐसा भोजन करना चाहिए जिससे मल त्याग करने में आसानी हो एवं कब्ज न बनें। रोगी को नियमित आहार लेना चाहिए।
लक्षण :
गुदा के छोर पर चने जितना दाने (व्रण) निकल आते हैं और दाने फूट जाने पर दाने वाले जगह पर गुदा आधा से 3 सेमी तक चिर जाता है। मल त्याग करते समय गुदा चिर जाने से तेज दर्द होता है जिससे रोगी मल (पैखाना) त्याग करने से डरता है और मल न त्यागने के कारण उसे कब्ज हो जाता है।
चिकित्सा :
1. अंजीर : सूखा अंजीर 350 ग्राम, पीपल का फल 170 ग्राम, निशोथ, सौंफ, कुटकी और पुनर्नवा 100-100 ग्राम। इन सब को मिलाकर कूट लें और कूटे हुए मिश्रण के कुल वजन का तीन गुने पानी के साथ उबालें। एक चौथाई पानी बच जाने पर इसमें 720 ग्राम चीनी डालकर शर्बत बना लें। यह शर्बत 1 से 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह-शाम पीना चाहिए।
2. आंवला : मीठा आंवला 60 ग्राम, मुलहठी 60 ग्राम और कच्ची हरड़ 60 ग्राम को कूट-पीस व छानकर पाउडर बना लें। मुनक्का 450 ग्राम, बादाम 650 ग्राम और गुलकन्द 680 ग्राम बीजों को पीस लें और उसमें पाउडर डालकर पुन: अच्छी तरह से पीसें। यह चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध या पानी के साथ रात को सोते समय पियें। इससे गुदा की चिरन ठीक होती है।
3. हरड़ : पीली हरड़ 35 ग्राम को सरसों के तेल में तल लें और भूरे रंग का होने पर पीसकर पाउडर बना लें। उस पाउडर को एरण्ड के 140 मिलीलीटर तेल में मिला लें। रात को सोते समय गुदा चिरन पर लगायें। इससे गुदा चिरना दूर होता है

Tuesday, September 23, 2014

मुनक्का


10 मुनक्का रोज खाएंगे तो ये बीमारियां खत्म हो जाएंगी ----------
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मुनक्का यानी बड़ी दाख को आयुर्वेद में एक औषधि माना गया है। बड़ी दाख यानी मुनक्का छोटी दाख से अधिक लाभदायक होती है। आयुर्वेद में मुनक्का को गले संबंधी रोगों की सर्वश्रेष्ठ औषधि माना गया है। मुनक्का के औषधीय उपयोग इस प्रकार हैं-
- शाम को सोते समय लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए।
- 250 ग्राम दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे वीर्य के विकार दूर होते हैं। इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है।
- मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है।
- जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से पानी ना पिएं। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।
- जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं।
- सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें।

Saturday, September 6, 2014

हार्ट अटैक: ना घबराये ....

हार्ट अटैक: ना घबराये ......!!!
सहज सुलभ उपाय ....
99 प्रतिशत ब्लॉकेज को भी रिमूव कर देता है पीपल का पत्ता....
पीपल के 15 पत्ते लें जो कोमल गुलाबी कोंपलें न हों, बल्कि पत्ते हरे, कोमल व भली प्रकार विकसित हों। प्रत्येक का ऊपर व नीचे का कुछ भाग कैंची से काटकर अलग कर दें।
पत्ते का बीच का भाग पानी से साफ कर लें। इन्हें एक गिलास पानी में धीमी आँच पर पकने दें। जब पानी उबलकर एक तिहाई रह जाए तब ठंडा होने पर साफ कपड़े से छान लें और उसे ठंडे स्थान पर रख दें, दवा तैयार।
इस काढ़े की तीन खुराकें बनाकर प्रत्येक तीन घंटे बाद प्रातः लें। हार्ट अटैक के बाद कुछ समय हो जाने के पश्चात लगातार पंद्रह दिन तक इसे लेने से हृदय पुनः स्वस्थ हो जाता है और फिर दिल का दौरा पड़ने की संभावना नहीं रहती। दिल के रोगी इस नुस्खे का एक बार प्रयोग अवश्य करें।
* पीपल के पत्ते में दिल को बल और शांति देने की अद्भुत क्षमता है।
* इस पीपल के काढ़े की तीन खुराकें सवेरे 8 बजे, 11 बजे व 2 बजे ली जा सकती हैं।
* खुराक लेने से पहले पेट एक दम खाली नहीं होना चाहिए, बल्कि सुपाच्य व हल्का नाश्ता करने के बाद ही लें।
* प्रयोगकाल में तली चीजें, चावल आदि न लें। मांस, मछली, अंडे, शराब, धूम्रपान का प्रयोग बंद कर दें। नमक, चिकनाई का प्रयोग बंद कर दें।
* अनार, पपीता, आंवला, बथुआ, लहसुन, मैथी दाना, सेब का मुरब्बा, मौसंबी, रात में भिगोए काले चने, किशमिश, गुग्गुल, दही, छाछ आदि लें । ......
तो अब समझ आया, भगवान ने पीपल के पत्तों को हार्टशेप क्यों बनाया..
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Monday, September 1, 2014

हल्दी वाला दूध

हल्दी वाला दूध
1- रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी 
गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . चम्मच से खूब मिलाकर 
कर खड़े खड़े पियें. - इससे त्रिदोष शांत होते है.
2- संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी प्रकार
के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है.
3- हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से
दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में
आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में
मदद करती है.
4- वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में
जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद
तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं।
5- अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ
इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की दिक्कत हो तो सोने
से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें.
6- दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द
जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर का रक्त संचार
बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है.
7- खून और लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल
शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और
लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए
इसका सेवन फायदेमंद है.
8- पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने
वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा
दिलाता है.
9- मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और
हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं